दुश्मनी का पर्यायवाची | Dushmani Ka Paryayvachi Shabd

दुश्मनी का पर्यायवाची

आज हम सब Dushmani Ka Paryayvachi देखने वाले है सरलभाषा में शब्दों का खेल हमें विभिन्न भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का साधन प्रदान करता है। “दुश्मनी” एक ऐसा शब्द है जो हमारे जीवन में रिश्तों और संबंधों को रेखांकित करता है, लेकिन इसका पर्यायवाची शब्द “दुश्मनी” हमें इस दुश्मनी के अदृश्य और गहरे पहलुओं के बारे में सोचने के लिए आमंत्रित करता है।

Dushmani Ka Paryayvachi | दुश्मनी का पर्यायवाची शब्द

1. शत्रुता (Shatruta)
2. विरोध (Virodh)
3. वैर (Vair)
4. अद्वेष्टा (Adveshta)
5. द्वेष (Dvesh)
6. शत्रु (Shatru)
7. प्रतिकूलता (Pratikoolata)
8. झगड़ा ( Jhagada ) 
9. विपक्षी ( Vipakashi ) 
10. अमित्र ( Amitr )

Dushmani Ka Paryayvachi Meaning | दुश्मनी paryayvachi shabd

दुश्मनी का पर्यायवाची

1. शत्रुता (Shatruta)

“शत्रुता” एक प्रमुख पर्यायवाची है जो “दुश्मनी” के साथ जुड़ा होता है। यह शब्द विशेषता से एक तीव्र और विरोधात्मक रूप से संबंधित है, जिसमें दो पक्षों के बीच एक आत्मनिर्भर और अधिक उत्तेजना भरा रिश्ता होता है। शत्रुता एक ऐसी स्थिति को दर्शाती है जिसमें दोनों पक्ष आपस में सीधे विरोध में होते हैं, और एक दूसरे को अच्छा नहीं मानते हैं।

शत्रुता का अर्थ है शत्रुता की भावना या एक व्यक्ति या समूह को दूसरे के प्रति आपत्ति और विरोध की भावना। इसमें आत्मसमर्पण और समर्थन की कमी होती है और यह विरोध की स्थिति को बढ़ाता है। शत्रुता का मौद्रिक अर्थ होता है “शत्रुता रखना” या “शत्रु बनाए रखना”।

इस शब्द का उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया जा सकता है, जैसे राजनीतिक, सामाजिक, या व्यक्तिगत स्तर पर। शत्रुता व्यक्ति या समूह के बीच विशेष रूप से तीव्र संघर्ष और विरोध की भावना को दर्शाता है, जो कई बार सामाजिक या राजनीतिक परिस्थितियों के कारण हो सकता है।

इस पर्यायवाची के माध्यम से हम देखते हैं कि भाषा की सामरिकता और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए विभिन्न शब्दों का उपयोग हो सकता है, जिससे व्यक्ति अपनी विचारो  को सही से बता कर सकता है।

2. विरोध (Virodh)

“विरोध” एक और प्रमुख पर्यायवाची है जो “दुश्मनी” की भावना को सूचित करता है। इस शब्द का अर्थ है दो व्यक्तियों या समूहों के बीच आपसी विरोध या मतभेद, जिससे आत्मसमर्थन और स्वतंत्रता की भावना होती है। विरोध में विभिन्न दृष्टिकोण और विचार हो सकते हैं, और यह एक व्यक्ति या समूह के अधिकारों और मूल्यों की प्रतिरोध भरी रूप से व्यक्ति करता है।

विरोध की विशेषताएं:

  1. मतभेद: विरोध का एक प्रमुख हिस्सा मतभेद होता है, जिसमें दोनों पक्षों के बीच विभिन्न दृष्टिकोण और मताधिकार होते हैं।
  2. स्वतंत्रता: विरोध एक पक्ष की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता की भावना को दर्शाता है, जिससे वह अपने मूल्यों और धाराओं के प्रति प्रतिबद्ध रह सकता है।
  3. सामर्थ्य: विरोध में आत्मसमर्थन की भावना होती है, जिससे व्यक्ति या समूह अपने विचारों और उद्देश्यों के लिए समर्थ होता है।
  4. दृढ़ता: विरोध व्यक्ति या समूह के अधिकारों की रक्षा करने के लिए दृढ़ता और संघर्ष की भावना को सामने लाता है।

विरोध के संदर्भ:

  1. राजनीतिक विरोध: राजनीतिक मामलों में विरोध आम है, जिसमें विभिन्न दल और समूह अपने-अपने दृष्टिकोणों को सामने रखते हैं।
  2. सामाजिक विरोध: सामाजिक मुद्दों, जैसे कि जातिवाद, लैंगिकता, और आर्थिक विभाजन, में विरोध देखा जा सकता है।
  3. व्यक्तिगत विरोध: व्यक्तिगत स्तर पर, विभिन्न दृष्टिकोण और मूल्यों के कारण व्यक्ति किसी से विरोध कर सकता है।

विरोध की भावना यदि सही रूप से नियंत्रित और प्रबंधित नहीं की जाए, तो यह दुश्मनी की ओर बढ़ सकती है। हालांकि, इसका संभावनाओं का सही रूप से प्रबंधन करने से विभिन्न समूह और समाज में सहमति और समरसता बनी रह सकती है।

3. वैर (Vair)

“वैर” एक और प्रमुख पर्यायवाची है जो “दुश्मनी” की भावना को सूचित करता है। यह शब्द दुश्मनी को एक ऊँचे स्तर पर स्थापित करने का प्रयास करता है, जो अक्सर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, या राजनीतिक संदर्भों में आता है। “वैर” एक गहरे और स्थायी दुश्मनी की भावना को दर्शाता है जिसमें दो प्रतिष्ठानों, समूहों, या व्यक्तियों के बीच स्थिति स्पष्ट रूप से विरोधात्मक होती है।

वैर की विशेषताएं:

  1. ऐतिहासिक संदर्भ: “वैर” शब्द अक्सर ऐतिहासिक घटनाओं और युद्धों के संदर्भ में प्रयुक्त होता है, जहां दो प्रभावशाली ताकतें आपस में विरोधी होती हैं।
  2. सांस्कृतिक परंपरा: कई सांस्कृतिकों और समुदायों में, “वैर” शब्द समृद्धि और अधिकार की रक्षा के लिए संघर्ष की भावना को जताता है।
  3. राजनीतिक दुश्मनी: राजनीतिक संदर्भ में, “वैर” शब्द विभिन्न राजनीतिक पक्षों या राजनीतिक प्रणालियों के बीच दुश्मनी को दर्शाता है।
  4. व्यक्तिगत वैर: कई बार यह शब्द व्यक्तिगत स्तर पर भी उपयोग होता है, जब किसी व्यक्ति के साथ गहरी और स्थायी दुश्मनी होती है।

“वैर” शब्द का उपयोग विशेषकर उन स्थितियों में होता है जब दुश्मनी एक स्थायी और गहरी रूप से स्थापित होती है और इसमें समय के साथ बढ़ती है। यह शब्द एक सशक्त और स्थिर दुश्मनी की भावना को दर्शाता है जो अक्सर समृद्धि, अधिकार, और सामंजस्य में आती है।

4. अद्वेष्टा (Adveshta)

“अद्वेष्टा” एक अन्य पर्यायवाची है जो “दुश्मनी” या “वैर” की भावना को सूचित करता है, लेकिन इसमें एक विशेष और सकारात्मक पहलु होती है। यह शब्द अद्वेष्टा का अर्थ है ‘द्वेष न करने वाला’ या ‘विरोध न करने वाला’।

अद्वेष्टा की विशेषताएँ:

  1. नेत्रलिता: “अद्वेष्टा” में नेत्रलिता और न्यायपूर्ण दृष्टिकोण होता है, जिससे समस्त प्रतिष्ठानों और व्यक्तियों के प्रति विरोध नहीं होता है।
  2. शान्ति: इस भावना में शान्ति और सहिष्णुता की भावना होती है, जिससे संबंधों में सुधार हो सकता है।
  3. आत्मबल: “अद्वेष्टा” में आत्मबल और आत्मसमर्पण की भावना होती है, जिससे व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में समर्थ रह सकता है।
  4. समझदारी: यह शब्द समझदारी और समाधान की भावना को दर्शाता है, जिससे समस्त समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं।

“अद्वेष्टा” एक पॉजिटिव दृष्टिकोण को दर्शाता है जो संबंधों और समृद्धि के माध्यम से समाज में सामंजस्य बनाए रखने की भावना को उत्कृष्ट करता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति या समूह द्वेष और विरोध की भावना को छोड़कर सामंजस्य, समरसता, और साहित्यिकता के माध्यम से समृद्धि की दिशा में काम करता है। इस भावना को अपनाने से समस्त समाज में साहित्यिक और सद्भावनात्मक वातावरण बना रहता है।

5. द्वेष (Dvesh)

“द्वेष” एक और प्रमुख पर्यायवाची है जो “दुश्मनी” की भावना को सूचित करता है। यह शब्द एक तीव्र और घातक रूप से दुश्मनी की भावना को दर्शाता है जिसमें एक व्यक्ति या समूह अपने मन में गहरा और आत्मिक विरोध रखता है।

द्वेष की विशेषताएँ:

  1. तीव्रता: “द्वेष” शब्द तीव्रता और आत्मिक संघर्ष की भावना को दर्शाता है जिससे विरोधी के प्रति अग्रसर होता है।
  2. आत्मसमर्थन: इसमें आत्मसमर्थन की भावना होती है, जिससे व्यक्ति या समूह अपने स्वार्थ के लिए आत्मसमर्पित होता है।
  3. भयानक: “द्वेष” में एक भयानक रूप से आत्मिक रोष की भावना होती है जिससे विरोधी को हानि पहुंचाने का प्रयास किया जा सकता है।
  4. नकारात्मकता: द्वेष सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर नकारात्मकता और नफरत की भावना को दर्शाता है।

“द्वेष” शब्द का उपयोग विभिन्न संदर्भों में होता है, जैसे कि सामाजिक, राजनीतिक, या व्यक्तिगत स्तर पर। इस शब्द का उपयोग विशेषकर उन स्थितियों में होता है जब एक व्यक्ति या समूह अपने विरोधी के प्रति अत्यंत आत्मिक और अच्छुत भावना रखता है, जिससे उसमें आत्मसमर्थन और संघर्ष की भावना होती है। यह शब्द आत्मघाती और अहिंसात्मक दृष्टिकोण से बहुत अलग है और विरोधी के प्रति घातक भावना को दर्शाता है।

6. शत्रु (Shatru)

“शत्रु” एक प्रमुख पर्यायवाची है जो “दुश्मन” की भावना को सूचित करता है। इस शब्द का उपयोग विभिन्न भाषाओं और सांस्कृतिक संदर्भों में किया जाता है, जो व्यक्ति या समूह के साथ विरोधी रिश्ते को दर्शाता है।

शत्रु की विशेषताएं:

  1. विरोधी भावना: “शत्रु” शब्द एक गहरे और स्थायी विरोध की भावना को दर्शाता है जिसमें एक व्यक्ति या समूह किसी अन्य व्यक्ति या समूह के साथ दुश्मनी में रहता है।
  2. संघर्ष भावना: शत्रुता में आत्मसमर्पण और संघर्ष की भावना होती है, जो दुश्मन के प्रति आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
  3. रक्षा की भावना: शत्रुता में अपने स्वार्थ और सुरक्षा की प्राथमिकता होती है, जिससे व्यक्ति या समूह अपने आत्मसमर्पण को बढ़ाता है।
  4. सोच-समझकर विरोध: शत्रुता में सोच-समझकर विरोध का सामना किया जाता है, जिससे आत्मनिर्भरता और सुरक्षा को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

“शत्रु” शब्द का उपयोग विभिन्न संदर्भों में होता है, जैसे कि राजनीतिक, सामाजिक, और व्यक्तिगत स्तर पर। इस शब्द का उपयोग सामाजिक और राजनीतिक दुश्मनी के संदर्भ में बहुत अधिक होता है, लेकिन कई बार व्यक्तिगत स्तर पर भी इसका सामना किया जा सकता है।

7. प्रतिकूलता (Pratikoolata)

“प्रतिकूलता” एक प्रमुख पर्यायवाची है जो “दुश्मनी” या “विरोध” की भावना को सूचित करता है। यह शब्द विशेषता से एक व्यक्ति या समूह के साथ विरोधात्मक रिश्ते को दर्शाता है, जिसमें प्रतिष्ठान या समृद्धि के लिए संघर्ष होता है।

प्रतिकूलता की विशेषताएं:

  1. विरोधी रूप से स्थापित: “प्रतिकूलता” में विरोधी रूप से स्थापित रिश्ता होता है, जिसमें एक व्यक्ति या समूह दूसरे के साथ खिलवारी करता है।
  2. आत्मसमर्पण और संघर्ष: इसमें आत्मसमर्पण और संघर्ष की भावना होती है, जिससे स्वार्थ की प्राथमिकता होती है।
  3. असमंजस्य और अनबन: प्रतिकूलता में असमंजस्य और अनबन की भावना होती है, जिससे समृद्धि और सामंजस्य में कठिनाई पैदा हो सकती है।
  4. अविश्वास: इसमें अविश्वास और शंका की भावना होती है, जिससे साथी की भलाइयों में विश्वास कम होता है।

प्रतिकूलता के संदर्भ:

  1. राजनीतिक प्रतिकूलता: राजनीतिक मामलों में, विभिन्न दलों या राजनीतिक व्यक्तियों के बीच प्रतिकूलता देखी जा सकती है।
  2. व्यापारिक प्रतिकूलता: व्यापारिक या आर्थिक संदर्भ में, विभिन्न कंपनियों या व्यापारिक संगठनों के बीच प्रतिकूलता हो सकती है।
  3. सामाजिक प्रतिकूलता: समाज में जातिवाद, लैंगिकता, धर्म, या अन्य सामाजिक मुद्दों के कारण प्रतिकूलता उत्पन्न हो सकती है।

प्रतिकूलता के संदर्भ में समझदारी और समाधान की भावना बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि समृद्धि, सामंजस्य, और सहयोग की दिशा में समस्त स्थितियों को सुलझाया जा सके।

8. झगड़ा ( Jhagada ) 

“झगड़ा”  एक प्रमुख पर्यायवाची है जो आमतौर पर विवाद, मतभेद, या विरोध की स्थिति को दर्शाता है। यह शब्द दो या दो से अधिक व्यक्तियों या समूहों के बीच होने वाले तात्कालिक आपसी विरोध की स्थिति को सूचित करने के लिए प्रयुक्त होता है।

झगड़ा की विशेषताएं:

  1. मतभेद और विरोध: झगड़ा आमतौर पर मतभेद और विरोध की स्थिति को दर्शाता है जहां व्यक्तियों या समूहों के बीच विचार या दृढ़ अभिप्रेत होते हैं।
  2. हितों की असमंजस्य: झगड़े में सामंजस्य और हितों की असमंजस्य देखी जा सकती है, जिससे तात्कालिक समाधान की कोई संभावना कम होती है।
  3. उत्साह या क्रोध: झगड़े में उत्साह या क्रोध की भावना होती है, जिससे लोग अपने पक्ष को समर्थन देने के लिए तैयार होते हैं।
  4. आत्ममर्जी और अपमर्जी: झगड़े में व्यक्तियों के बीच आत्ममर्जी और अपमर्जी की भावना हो सकती है, जो समस्या को गहराई से बढ़ा सकती है।

झगड़े के संदर्भ:

  1. परिवारिक झगड़ा: परिवारिक मामलों में झगड़े विभिन्न सदस्यों के बीच मतभेद या संघर्ष के कारण हो सकते हैं।
  2. सामाजिक झगड़ा: समाज में सामाजिक, आर्थिक, या सांस्कृतिक मुद्दों के कारण व्यक्तियों या समूहों के बीच झगड़े हो सकते हैं।
  3. कार्यस्थलीय झगड़ा: कार्यस्थल में विभिन्न कर्मचारियों या व्यवसायियों के बीच संघर्ष के कारण झगड़े हो सकते हैं।
  4. राजनीतिक झगड़ा: राजनीतिक दलों या नेताओं के बीच विचार विरोध या संघर्ष के कारण झगड़े हो सकते हैं।

झगड़ा एक सामाजिक और मानविक स्थिति है जो समझदारी और समाधान की आवश्यकता को सुझाता है ताकि लोग सहयोग, समरसता, और समृद्धि की दिशा में काम कर सकें।

9. विपक्षी ( Vipakashi ) 

“विपक्षी” एक और प्रमुख पर्यायवाची है जो “विपक्ष” के साथ जुड़ा होता है और इसका अर्थ होता है ‘विरोधी’ या ‘विपक्षी ताकतें’। इसे अक्सर राजनीतिक संदर्भों में उपयोग किया जाता है, जहां एक दल या संगठन दूसरे दल या संगठन के साथ विरोध या विपक्ष में हो सकता है।

विपक्षी की विशेषताएं:

  1. विरोधी या विपक्षी: “विपक्षी” शब्द का सीधा अर्थ होता है विरोधी या विपक्षी। यह विरोध या आपसी विरोध की स्थिति को सूचित करता है।
  2. प्रतिद्वंद्वी दल: राजनीतिक संदर्भ में, एक पार्टी या संगठन दूसरे पार्टी या संगठन को अपना विपक्षी या प्रतिद्वंद्वी मान सकता है।
  3. राजनीतिक विभाजन: विपक्षी दलों और सरकारी दलों के बीच राजनीतिक विभाजन या विरोध होता है जिससे संवाद और विचारविमर्श में वृद्धि होती है।
  4. विरोधी दल: जब किसी पार्टी या सरकारी दल के प्रति कोई अन्य पार्टी या संगठन विरोधी रूप से कार्रवाई करता है, तो उसे विपक्षी कहा जा सकता है।

विपक्षी के संदर्भ:

  1. राजनीतिक विपक्ष: राजनीतिक मामलों में, एक पार्टी जो सरकार के खिलाफ होती है, वह विपक्षी दल कहलाती है।
  2. सामाजिक विपक्ष: समाज में, विभिन्न समूहों या संगठनों के बीच सामाजिक विरोध को विपक्षीता कहा जा सकता है।
  3. आर्थिक विपक्ष: आर्थिक मुद्दों के कारण एक उद्यम या व्यवसाय को विपक्षी बना सकता है।
  4. सांस्कृतिक विपक्ष: सांस्कृतिक मुद्दों या धार्मिक विचारों के बीच विरोध को सांस्कृतिक विपक्षीता कहा जा सकता है।

“विपक्षी” शब्द सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक संदर्भों में विरोध या विपक्ष की स्थिति को सूचित करने में उपयुक्त है।

10. अमित्र ( Amitr )

“अमित्र” एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ होता है “बिना मित्र” या “दुश्मन”। यह शब्द विशेषता से किसी से विरोधी या विरोधीता की भावना को दर्शाने में प्रयुक्त होता है, जब किसी व्यक्ति या समूह के साथ सजीव मित्रता नहीं है।

“अमित्र” की विशेषताएं:

  1. द्वेष या विरोध: “अमित्र” शब्द एक व्यक्ति या समूह के साथ सबसे अधिक विरोधी या विरोधी होने की भावना को दिखा सकता है।
  2. संघर्ष या सहमति की कमी: इसमें संघर्ष या सहमति की कमी की भावना हो सकती है, जिससे समस्याओं का समाधान करना कठिन होता है।
  3. विरोधात्मक भावना: “अमित्र” शब्द में विरोधात्मक भावना होती है जो एक सकारात्मक या सहमत दृष्टिकोण की अभावी हो सकती है।
  4. असहयोग या अनबन: यह शब्द असहयोग या अनबन की भावना को दर्शा सकता है, जिससे लोग एक दूसरे की मदद नहीं करते हैं।

“अमित्र” के संदर्भ:

  1. व्यक्तिगत अमित्र: किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत स्तर पर अमित्रता हो सकती है जिसमें वे एक दूसरे से विरोधी होते हैं।
  2. सामाजिक अमित्र: समाज में, विभिन्न समूहों या समुदायों के बीच सामाजिक अमित्रता की कमी हो सकती है, जिससे विरोध उत्पन्न हो सकता है।
  3. राजनीतिक अमित्र: राजनीतिक संदर्भ में, एक राजनीतिक पार्टी या नेता दूसरी पार्टी या नेता के साथ अमित्रता नहीं कर सकता है।
  4. व्यापारिक अमित्र: व्यापारिक मुद्दों या प्रतिस्थानों के कारण एक व्यवसाय दूसरे व्यवसाय के साथ अमित्रता को बनाए रखने में असमर्थ हो सकता है।

“अमित्र” एक उपयुक्त शब्द है जो दो व्यक्तियों, समूहों, या संगठनों के बीच स्थायी और गहरी विरोधीता की भावना को व्यक्त करता है।

FAQ :

 पर्यायवाची का अर्थ क्या है?

“पर्यायवाची” एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘समानार्थी’ या ‘विलोमार्थी’। इसका उपयोग शब्द के साथ समान अर्थी शब्दों को दर्शाने में होता है। पर्यायवाची शब्द सामान्यत: भाषा का सौंदर्यिक और सार्थक उपयोग करने में मदद करता है और व्यक्ति को विशेषता और विविधता का अभ्यास करने का अवसर देता है।

उदाहरण के लिए, “सुंदर” शब्द के पर्यायवाची हो सकते हैं: “हसीन”, “रविषंकर”, “सुखद”, आदि। इन पर्यायवाची शब्दों का उपयोग विचारों और विवरणों को बढ़ाने में या भाषा को रूचिकर बनाए रखने में किया जा सकता है।

लड़ाई का पर्यायवाची शब्द क्या है?

“लड़ाई” का पर्यायवाची शब्द हो सकता है “युद्ध”, “संघर्ष”, “कठिनाई”, या “जगड़ा”। इन शब्दों का उपयोग भाषा को सुरक्षित और विविध बनाए रखने में किया जा सकता है।

दुश्मन का पर्यायवाची क्या होता है?

“दुश्मन” का पर्यायवाची शब्द हो सकता है “शत्रु”, “वैरी”, “अद्वेषी”, “विरोधी”, या “विरुद्ध”। इन शब्दों का उपयोग भाषा को सुरक्षित और विविध बनाए रखने में किया जा सकता है।

Conclusion:

“दुश्मनी का पर्यायवाची” विचार करना हमें यह सिखाता है कि शब्दों की भाषा में गहराई और विविधता है। यह भी हमें याद दिलाता है कि दुश्मनी का अर्थ सिर्फ सामाजिक या व्यक्तिगत स्तर पर ही होता है, और इसका विवेचन विभिन्न संदर्भों में किया जा सकता है।

“दुश्मनी” के पर्यायवाची शब्द जैसे “शत्रु,” “वैरी,” और “विरोधी” इस शब्द के भावनात्मक और सांस्कृतिक पहलुओं को सुझाते हैं। इन पर्यायवाची शब्दों का उपयोग भाषा को समृद्धि और विविधता में बनाए रखने के लिए किया जा सकता है।

यह सिख भी देती है कि शब्दों का चयन और उपयोग भाषा के संदर्भ, उद्देश्य, और प्रयोग के आधार पर किया जाता है। विभिन्न पर्यायवाची शब्दों का सही संदर्भ चयन करना हमें सटीकता और सुधारित अभिव्यक्ति की समर्थन करने में मदद कर सकता है।

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