आज हम सब देखेंगे ramdhari singh dinkar ka jivan parichay के बारे में पहले शार्ट उसके बाद फुल डिटेल्स में देखेंगे चलो जानते है रामधरी सिंह का जीवन परिचय के बारे में एक बात बता दे class 12 के लिए ramdhari singh dinkar ka jivan parichay परिचय इम्पोर्टेन्ट है ।
Rmdhari singh dinkar ka jivan parichay short mein
राष्ट्रकवि के नाम से विख्यात रामधारी सिंह दिनकर एक प्रमुख हिन्दी कवि थे। उनका जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार में हुआ था। उन्होंने पटना और कोलकाता विश्वविद्यालयों से मास्टर डिग्री हासिल की। उनका पहला काव्य संग्रह “रेणुका” 1935 में प्रकाशित हुआ था। और इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण काव्य संग्रह लिखे। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण और अन्य सम्मानों से सम्मानित किया गया। उनकी कविताएँ देशभक्ति और सामाजिक मुद्दों पर आधारित थीं, जिससे उन्हें राष्ट्रीय कवि होने का गौरव प्राप्त हुआ।
Ramdhari singh dinkar ka jivan parichay sahitya parichay
Ramdhari singh dinkar ka jivan parichay sahitya parichay : रामधारी सिंह दिनकर, एक प्रसिद्ध हिंदी कवि, निबंधकार, और शिक्षाविद्यार्थी थे। इनका जन्म 23 सितंबर, 1908 को बिहार के सीमरिया गाँव में हुआ था, और उनका आकाल 24 अप्रैल, 1974 को हुआ था। उन्होंने हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आधुनिक हिंदी साहित्य के महत्त्वपूर्ण कवियों में से एक माने जाते हैं।
आरंभिक जीवन:
रामधारी सिंह दिनकर एक मैथिल ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे और उनके बचपन के वर्ष गरीबी में बिते। लेकिन उनमें विद्या और साहित्य के प्रति गहरा रुचि थी जो उन्हें बचपन से ही दिख रहा था। दिनकर ने पटना में अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में कोलकाता विश्वविद्यालय से हिंदी में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की।
साहित्यिक करियर:
दिनकर का साहित्यिक करियर उनकी पहली कविता संग्रह “रेणुका” के प्रकाशन के साथ शुरू हुआ था, जो 1935 में हुआ। उन्होंने अपनी राष्ट्रभक्ति और प्रेरणादायक कविताओं के साथ ध्यान आकर्षित किया और उन्हें “राष्ट्रकवि” का उपाधि प्राप्त हुआ। उनकी प्रमुख रचनाओं में “उर्वशी”, “संस्कृति के चार अध्याय”, “कुरुक्षेत्र” और “परशुराम की प्रतीक्षा” शामिल हैं। उनकी कविताएं अक्सर सामाजिक मुद्दों, ऐतिहासिक घटनाओं और राष्ट्रभक्ति के भावना से परिपूर्ण थीं।
हिंदी साहित्य में योगदान:
दिनकर ने छायावाद आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो हिंदी काव्य में एक रोमांटिक साहित्यिक आंदोलन था। उन्होंने पारंपरिक शैली को आधुनिक विषयों के साथ मिलाकर हिंदी कविता में एक नया दृष्टिकोण लाया। दिनकर की भाषा का उपयोग और शक्तिशाली अभिव्यक्ति ने उनकी कविता को लोकप्रिय और प्रभावशाली बनाया।
पुरस्कार और सम्मान:
रामधारी सिंह दिनकर को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिसमें उन्हें 1959 में उनकी महाकाव्य “संस्कृति के चार अध्याय” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 1959 में उन्हें भारत सरकार द्वारा तृतीय सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से नवाजा गया।
राजनीतिक संलग्नता:
दिनकर राजनीतिक रूप से भी सक्रिय रहे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने 1952 से 1964 तक राज्यसभा के नामांकन सदस्य के रूप में कार्य किया।
विरासत:
रामधारी सिंह दिनकर की जीवन और कार्य साहित्य, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में साहित्यिक, राष्ट्रवादी और सामाजिक दृष्टिकोण की हमेशा बनी रहती है। उनकी कविताएं हिंदी साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान की प्रतीति रखती हैं। उनकी कविताएं अक्सर भारतीय सांस्कृतिक और राष्ट्रीय घटनाओं को छूने की क्षमता रखती हैं और इनमें उनकी गहरी प्रेरणा छुपी है।
Ramdhari singh dinkar ka jivan parichay और कार्य ने साहित्य, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में एक सान्निध्यिक संरेखित किया है, जिससे वे हिंदी साहित्य के इतिहास में पूरी तरह से अलग हैं।
FAQ :
Ramdhari singh dinkar ka janam kab hua tha
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 को हुआ था।
Ramdhari singh dinkar kavita
रामधारी सिंह दिनकर की कई प्रमुख कविताएं हैं, जिनमें वे राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। यहां कुछ उनकी मशहूर कविताएं हैं:
- “उर्वशी”: इस कविता में दिनकर ने भरत के सबसे प्रमुख पुरुषार्थ, यदि नहीं सबसे बड़ा, प्रेम को विवेचन किया है।
- “संस्कृति के चार अध्याय”: इस महाकाव्य में उन्होंने भारतीय संस्कृति और उसकी विकास यात्रा को चार अध्यायों में विवेचन किया है।
- “कुरुक्षेत्र”: यह कविता महाभारत के युद्ध क्षेत्र कुरुक्षेत्र की महाकवि है और उसमें धर्मयुद्ध के महत्वपूर्ण संदेश हैं।
- “सिंधु के तीर”: इस कविता में दिनकर ने सिंधु नदी की महत्वपूर्णता को उजागर किया है और भारतीय सभ्यता के उच्चतम क्षणों की महिमा को वर्णित किया है।
- “हुनैस्तान की मोहिनी”: इस कविता में दिनकर ने भारतीय समाज के विकास में आने वाली चुनौतियों और उनके सामने हमें अपनी दासता को आत्मसात करने की आवश्यकता को बताया है।
- “चंदन का पाटा”: इस कविता में दिनकर ने साहस और स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
Ramdhari singh dinkar ka jivan parichay इन कविताओं में उन्होंने राष्ट्रीय भावना, समाज, और मानवता के मुद्दे पर गहरा विचार किया है। उनकी शैली और भाषा उनकी कविताओं को अद्भुत बनाती हैं और इन्हें हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से में स्थान देती हैं।
रामधारी सिंह दिनकर की पहली रचना कौन सी है?
रामधारी सिंह दिनकर की पहली रचना ‘रेणुका’ है, जो 1935 में प्रकाशित हुई थी। इस संग्रह में उन्होंने अपनी कविताएं प्रस्तुत की जिससे उन्हें साहित्य जगत में पहचान मिली। ‘रेणुका’ कविता संग्रह में उनकी कला का पहला परिचय है जो भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर कदम रखने की दिशा में थी।
रामधारी सिंह दिनकर की मृत्यु कहाँ हुई थी?
रामधारी सिंह दिनकर की मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को मुंबई, महाराष्ट्र, भारत में हुई थी।
Ramdhari singh dinkar ki rachna kaun si hai
- “रेणुका” (1935): यह थी उनकी पहली कविता संग्रह। इसमें उन्होंने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं और साहित्य जगत में पहचान बनाई।
- “उर्वशी” (1961): इसमें उन्होंने भरत के प्रेम के विषय में विचार किए हैं और इसे कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
- “संस्कृति के चार अध्याय” (1955): यह महाकाव्य उनकी एक महत्वपूर्ण रचना है, जिसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति के चार अध्यायों में उसकी प्रस्तुति की है।
- “कुरुक्षेत्र” (1955): इसमें वे महाभारत के युद्ध क्षेत्र कुरुक्षेत्र की महाकवि को विवेचन करते हैं और धर्मयुद्ध के महत्वपूर्ण संदेशों को प्रस्तुत करते हैं।
- “सिंधु के तीर” (1968): इसमें उन्होंने सिंधु नदी की महत्वपूर्णता पर विचार किए हैं और भारतीय सभ्यता के उच्चतम क्षणों की महिमा को वर्णित किया है।
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